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Friday, September 3, 2010

प्रेयसी का खत एक बीमार के नाम

तुम क्यों बीमार हो गए ?
जाने अनजाने रोग का शिकार हो गए 

क्या ?
माँ आज भी तुम्हारे बारे मै सोचती है 
बुखार आता है तो पसीना पोछती है

क्या ?
भाभी आज भी तुम्हे नाश्ता वक्त पर देती है 
रोटी मुलायम देती है या थोड़ी सख्त कर देती है 

क्या ?
भैया अभी भी वैसा ही व्यवहार करते है 
आँखे दिखाते है मगर मन ही मन प्यार करते है 

क्या? 
बच्चे आज भी तुम से बिस्किट कि आस रखते है 
मम्मी कि मार से चाचा बचा लेगे ये विश्वास रखते है 

तुम 
चिंता मत करना जल्द ही फिर वही दिन आयेंगे 
तुम ठीक हो जाओ हम फिर बारिश मै नहायेगे