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Friday, September 3, 2010

प्रेयसी का खत एक बीमार के नाम

तुम क्यों बीमार हो गए ?
जाने अनजाने रोग का शिकार हो गए 

क्या ?
माँ आज भी तुम्हारे बारे मै सोचती है 
बुखार आता है तो पसीना पोछती है

क्या ?
भाभी आज भी तुम्हे नाश्ता वक्त पर देती है 
रोटी मुलायम देती है या थोड़ी सख्त कर देती है 

क्या ?
भैया अभी भी वैसा ही व्यवहार करते है 
आँखे दिखाते है मगर मन ही मन प्यार करते है 

क्या? 
बच्चे आज भी तुम से बिस्किट कि आस रखते है 
मम्मी कि मार से चाचा बचा लेगे ये विश्वास रखते है 

तुम 
चिंता मत करना जल्द ही फिर वही दिन आयेंगे 
तुम ठीक हो जाओ हम फिर बारिश मै नहायेगे



Tuesday, August 31, 2010

बेटियां

दिल डरता है दरवाजे पर खड़ी बेटी को देख कर 
हर बार मर जाता हूं बड़ी बेटी को देख कर 
उसका भी आशियां तोड़ा है दहेज़ के पत्थरो ने 
दिल रोता है किस्मत से लड़ी बेटी को देख कर 
कैसे गले लगाउं मौत को, ख्वाहिश है 
मरू सोलह श्रंगार से जड़ी बेटी को देखकर 
क्या घर मै उसे दूंगा क्या वर मै उसे दूंगा 
ऐसा सोचता हूं  लंगड़ी बेटी को देख कर

आरजू

कोई निखर जाएगा यदि तुम कहोगे तो 
कोई संवर जाएगा यदि तुम कहोगे तो 
इश्क किसे कहते है ज़रा ये भी सीख 
दिल में उतर जाएगा यदि तुम कहोगे तो 
कब से खडा तेरी राह मे खुद को भूल के 
वो भी घर जाएगा यदि तुम कहोगे तो 
 बस ये ही कर सकता है राजा तुम्हारे लिए 
जीते जी मर जायेगा यदि तुम कहोगे तो 

Friday, August 6, 2010

मेरे ख्बाब सुनहरे हो नहीं सकते 
क्योकिं आप मेरे हो नहीं सकते 
वो और होगें जिन्होंने पकडा तेरी जुल्फों को 
हम बावफा है सपेरे हो नहीं सकते 
दिल में दर्द, आँखों में नमी होंटोपे आहे 
बदनसीबी के बादल इससे घनेरे हो नहीं सकते 
ये कौन सा पेंच है जिंदगी का "राजा"
वो बेवफा भी नहीं और मेरे हो भी नहीं सकते
तुमसे क्या प्रीत हुई,
जैसे जहां में जीत हुई
              कांटो कि चुभन मीठी लगे
              कर्कश ध्वनि भी सीटी लगे
              बर्फ जैसे अंगीठी लगे
              जिंदगी प्यारा सा गीत हुई ||
तुमसे क्या प्रीत हुई ...........
              प्रिय मित्र भी बैरी लगे
              दो पल अब देरी लगे
              ये जिंदगी भी अब तेरी लगे
               ये कैसी रीत हुई ||
तुमसे क्या प्रीत हुई ................
              आंखो को नींद भाती नहीं
              रातो को नींद आती नहीं
              खुशियां दिल में समाती नहीं
              सूरज कि तपिश शीत हुई ||
तुमसे क्या प्रीत हुई ......................
              अकेले रहा जाता नहीं
              तन्हाई सहा जाता नहीं
              "राजा" से भी कहा जाता नहीं
              ये कैसी जीत हुई ||
तुमसे क्या प्रीत हुई .........................     

Thursday, August 5, 2010

टहनी का मन

) वो एक है लाखों में, वो रहता है पलकों पर 
    उसे देखा नहीं उसे सोचा तो है 
   दिल पर मेरे भी वो देने दस्तक 
   एक दिन आयेगा,आयेगा,आयेगा 

२) तेरे हर सवाल का जवाब बन जाउं मैं 
   तुझे चाहुं इतना कि दुनिया को भूल जाउं मैं ||
   चाहत को अश्को के मोती बनाऊ मैं 
   तेरे लिए इस जहां को भी बिसराऊ मैं ||


३) ना करता शिकायत जमाने से कोई 
   अगर मान जाता मनाने से कोई ||
   किसी को क्यों याद करता कोई 
   अगर भूल जाता भुलाने से कोई ||
 

Wednesday, August 4, 2010

जब तक वो मेरी दीवानी रहेगी 
मेरे होटों पे ग़ज़ल और कहानी रहेगी ||
हर ठोकर खाकर संभल गए
उसकी  यही एक निशानी रहेगी ||
भूख लगी तो ताने खा कर सो गए 
वक्त की कब तक ये कारस्तानी रहेगी ||
सपने धुंधला गए है राजा
सूरते कब तक जानी पहचानी रहेगी ||
बडो से बात करो तो लहजा नीचा रखना 
बात कहने में आसानी रहेगी ||
लड़ना सीख लिया है वक्त से मैंने 
 कब तक ये फाकामस्ती ,ये परेशानी रहेगी ||

ग़ज़ल

किसी को महल मिला मेरे हिस्से में घर नहीं | .
कोई रोशनी में नहाये मेरी रातो को शहर नहीं  ||
उनकी सुन ली मुराद बिन मांगे 
और मेरी दुआओ में असर नहीं ||
ये और बात है वो सबूत देख कर मानता है 
रात भर रोया हूं मगर दामन तर नहीं  ||
चाहत रही तमाम उम्र आसमान छूने की 
हौसला है मगर उड़ने को पर नहीं ||
वो सोये मखमल के बिस्तरों पर 
और हमारा फुटपाथ पर बसर नहीं ||

Tuesday, August 3, 2010

हम ही में ना कोई बात थी, जो हम न तुम्हे ला सके 
तुमने हमें भुला दिया पर हम न तुम्हे भुला सके 
शौक-ए-मिसाल है यहाँ 
लब पर सवाल है यहाँ
किसकी मजाल है यहाँ 
हमसे नजर मिला सके 
हम ही में ना कोई बात थी, जो हम न तुम्हे ला सके 
तुम ने हमें भुला दिया हम ना तुम्हे भुला सके  
जहां ठोकरे खाई निशाँ छोड़ आये है 
अपने सारे के सारे अरमान छोड़ आये है 
तुम ने तो गली कही थे एक बार हमसे 
तेरे लिए सारा जहान छोड़ आये है
शहनाई में अब तान नहीं मिलती 
हर चेहरे पर मुस्कान नहीं मिलती 
किस किस से निभाए रिश्ते दुनिया में 
यहां घर में भी पहचान नहीं मिलती
मिटती है तो मिटाने में मजा आता है 
बनती है तो बनाने में मजा आता है 
दूर हो तो मोहब्बत होती है तुझसे 
पास हो तो सताने में मजा आता है
तुम मुझ से प्यार करके तो देखना 
बातें हजार करके तो देखना 
दिल चीज क्या हम रूह में उतर जायेगें 
तुम हम पे एतबार करके तो देखना
इस दिल से भुला दिया मैंने 
थपकियां देके सुला दिया मैंने 
वो सपने देख कर रो रही थी 
ये ना कहना फिर रुला दिया मैंने
तुझे जाना था तुझे पहचाना था 
तुझे दिल से अपना माना था 
सितमगर का सितम देखो हमने 
जिसे छत दी उसे हमारा घर जलाना था

Monday, August 2, 2010

होटों पे मेरे कुछ ऐसी प्यास थी 
दूर होके भी वो मेरे पास थी 
दिल तोड़ कर इस तरह से बिछड़ा
मैंने औरों से सुना  उसे मेरी तलाश थी 
चंद दिनो ही हमे याद रख ले ये दुनिया
तमाम उम्र के अहसान मंद हो जयेंगे हम