तुमसे क्या प्रीत हुई,
जैसे जहां में जीत हुई
कांटो कि चुभन मीठी लगे
कर्कश ध्वनि भी सीटी लगे
बर्फ जैसे अंगीठी लगे
जिंदगी प्यारा सा गीत हुई ||
तुमसे क्या प्रीत हुई ...........
प्रिय मित्र भी बैरी लगे
दो पल अब देरी लगे
ये जिंदगी भी अब तेरी लगे
ये कैसी रीत हुई ||
तुमसे क्या प्रीत हुई ................
आंखो को नींद भाती नहीं
रातो को नींद आती नहीं
खुशियां दिल में समाती नहीं
सूरज कि तपिश शीत हुई ||
तुमसे क्या प्रीत हुई ......................
अकेले रहा जाता नहीं
तन्हाई सहा जाता नहीं
"राजा" से भी कहा जाता नहीं
ये कैसी जीत हुई ||
तुमसे क्या प्रीत हुई .........................
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