मेरे ख्बाब सुनहरे हो नहीं सकते
क्योकिं आप मेरे हो नहीं सकते
वो और होगें जिन्होंने पकडा तेरी जुल्फों को
हम बावफा है सपेरे हो नहीं सकते
दिल में दर्द, आँखों में नमी होंटोपे आहे
बदनसीबी के बादल इससे घनेरे हो नहीं सकते
ये कौन सा पेंच है जिंदगी का "राजा"
वो बेवफा भी नहीं और मेरे हो भी नहीं सकते
बहुत खूब मेरे दोस्त ....सुन्दर रचना .!!! शब्दों के इस सुहाने सफ़र में आज से हम भी आपके साथ है इस उम्मीद से की सफ़र कुछ आसान हो जाए ...फिलहाल इस रचना के लिए बधाई ../ कुछ वर्तनी अशुद्धि है ...ठीक कर ले ..रचना की खूबसूरती कम करती है ...
ReplyDeleteधन्यवाद "लोगो" के लिए
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